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Wednesday, 28 December 2022

New year 2023 के लिए संकल्प

New year 2023 शुरू होने वाला है बस कुछ ही दिनों में। आप सोच रहे होंगे की इस नए वर्ष पर क्या संकल्प लें।आइये हम आपकी हेल्प करते हैं संकल्पों के लिए। 

  1. मैं मेरे समय का परफेक्ट मैनेजमेंट रखूंगा। व्यर्थ के कार्यों में समय जाया नहीं करूंगा। हमेशा याद रखूंगा की समय बहुत कीमती है।
  2. मैं ऐसे कार्य करूंगा जिससे मेरा, परिवार, समाज, और देश का भला हो। 
  3. मैं मेरे रिश्तों को तरोताजा रखूंगा और इसके लिए समय दूंगा।
कमेंट्स में इन्तजार रहेगा आपके ऐसे संकल्पों का जो आपको लगता है की बाकि लोग भी उन संकल्पों को अपनाएं। तो आइये इस New year 2023 को हमारे जीवन का बेहतरीन साल बनायें।


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वेबसाईट www.photudi.shop पर आइये और एक अच्छी गुणवत्ता की फोटो मात्र 10 रुपये में आप निम्न प्रकार से तैयार करवा सकते हैं: 1. कई बार ग्रुप फोटो में किसी एक व्यक्ति की आंखे फोटो में बंद आ जाती है, तो उस वजह से फ़ोटो सही नहीं लगती है। इसे आप ठीक करवा सकते हो। 2. किसी फोटो में किसी व्यक्ति या वस्तु को हटाना हो। 3. कोई फोटो धुंधली दिखाई दे तो उसे हमारे द्वारा साफ करके दिया जाएगा। 4. किसी फोटो में कलर सही करना हो आदि।

Wednesday, 17 June 2015

Go Vote Slogans in Hindi

loktantra ki yahi pukar.
batan dabao, banao sarkar.

loktantra ke marm ko samajho.
mol apne karm (vote) ka samajho.

loktantra ka kahna hai.
shat partishat matdan karna hai.

लोकतंत्र के मर्म को समझो।
मोल अपने कर्म (वोट) का समझो॥

लोकतंत्र कि यही पुकार।
बटन दबाओ, बनाओ सरकार॥

लोकतंत्र का कहना है।
शत प्रतिशत मतदान करना है॥

Flickering Improvements that needs by India

  1. Squalor (गन्दगी) - free India
  2. Corruption(भ्रष्टाचार) - free India
  3. Unemployment(बेरोजगारी) - free India
  4. Poverty(गरीबी) - free India
  5. Addiction(नशा) - free India
  6. Violence(हिंसा) - free India
  7. Vulgarity(अपसंस्कृति) - free India

Monday, 31 December 2012

मेरे भारत देश के लोगो तुम्हे क्या हो गया


मेरे भारत देश के लोगो तुम्हे क्या हो गया | 'तुम्हे' इसलिए बोल रहा हूँ की वो पाशविक लोग भी हम में से ही होते है जो ऐसे बुरी मानसिकता वाले काम करते है | तुम क्यों अपनी संस्कृति को भूल रहे हो, जिसके दम पर हम ये बोल पाते है-
"जहां डाल डाल पर, सोने की चिडिय़ां करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा जहां सत्य अहिंसा और धर्म का, पग-पग लगता डेरा, वो भारत देश है मेरा।"

हमने बचपन से जिस प्रतिज्ञा को सीखा है, क्यों उसको अमल में नही ला रहे |
"भारत मेरा देश है।
सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हैँ।
मैँ अपने देश से प्रेम करता हूँ।
इसकी समृद्ध एवं विविध संस्कृति पर मुझे गर्व है।
मैँ सदा इसका सुयोग्य अधिकारी बनने का प्रयत्न करता रहूगाँ।
मैँ अपने माता-पिता, शिक्षकोँ एवं गुरुजनोँ का सम्मान करुगाँ और प्रत्येक के साथ विनीत रहूगाँ।
मैँ अपने देश और देशवासियोँ के प्रति सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा करता हूँ।
इनके कल्याण एवं समृद्धि मेँ ही मेरा सुख निहित है।" (साभार: विकिपडिया.ओआरजी)

हमारी प्रतिज्ञा का एक-एक शब्द हमे मनुष्यता के मायने सीखता है . पर दुःख! दुःख इस बात का की इसको कभी समझने की चेष्टा ही नही की. उन कापुरुषों ने भी इस को पढ़ा होगा, सीखा होगा पर अमल में नही लाये , उसका परिणाम हमारे सामने है. उन जैसे दूषित सोच वाले लोग किसी कंस या रावन से कम नहीं है. कंस या रावन पाशविकता की वो चरम सीमा है, जन्हा पर उनको प्रायश्चित करने का समय नही दिया सकता | फिर क्यों तुम उनका अंत कर दो, जितना जल्दी हो सके |

हालाँकि हम उसको नही बचा सके | पर उसकी जिजीविषा (जीने की लालसा) ने हमे बहुत कुछ सिखाया है | वो इसलिए जीना चाहती थी की, अपने इस दुःख को साथ में रखते हुए भी अपने परिवार की सेवा कर सके. उसको पल पोस कर जिसने बड़ा किया है, उन्हें संभल सके. उसकी ये सोच हमे अपने परिवार, सामाज, देश के प्रति दायित्व का अहसास करवाती है. दूसरी और वो नाकारा पुरुष जिन्हें आपने बूढ़े माँ-बाप का भी कोई ख्याल नही था. लाज है ऐसे लोगों पर जिन्हें अपनो से भी कोई लगाव नही.

जरुरत है की हम अपने दायित्व को समझे | बुरे-भले का बोध करें | अपनों को समझे | ओर 'अपनो' की कोई सीमा नही होती, परिवार, देश, विश्व सब अपने है. सामान करना सीखे | केवल व्यावसायिक शिक्षा को ही महत्व देके, मानवीय शिक्षा को समझे | तभी हम एक शशक्त, अतुल्य, विकसित सांस्कृतिक भारत का निर्माण कर पाएंगे | नही तो बस ये एक सपना ही रह जायेगा.