Thursday 18 June 2015

चाँद को गुरुर है, चांदनी उसका नूर है

चाँद को गुरुर है, चांदनी उसका नूर है,
हमारा क्या कसूर है, जब हमारा चाँद हमसे दूर है।
- श्री मती कविता जी मोदी द्वारा लिखित

Chand ko gurur hai, chandni ushka noor hai,
Hamara kya kasur hai, jab hamara chand humse dur hai.

No comments:

Post a Comment