Wednesday 17 June 2015

कौन कहता है की गिरना बुरा होता है

कौन कहता है की गिरना बुरा होता है,
गिरो जरूर ऐ मेरे दोस्त!
मगर कुछ ऐसे गिरो की जैसे,  
गिरती है कोई बूँद सीप में और मोती बन जाती है।

गिरो जरूर ऐ मेरे दोस्त!  
मगर कुछ ऐसे गिरो की जैसे,  
पहाड़ के सीने से गिरता है झरना जमीन पर और नदी बन जाता है।

गिरना ही अगर लाजिमी हो जाये,
तो हँसते - हँसते गिरो ऐ मेरे दोस्त,  
जैसे सरहद पर कोई सिपाही गोली खाकर गिरता है और अमर हो जाता है।   

गिरना तो गरूर है मेरे दोस्त मगर वैसे नहीं गिरना,  
जैसे किसी की नजरों में कोई गिरता है,  
या आसमान से टूटकर बिजली जैसे गिरती है किसी आशियाने पर।

स्त्रोत : अज्ञात, यदि आप इस कविता के कवि का नाम जानते हैं तो कॉमेंट में जरूर बताएं।

Kaun kahata hai ki girna bura hota hai,
Giro jroor ae mere dost!
Magar kuchh aise giro ki jaise,  
Girti hai koi boond seep me or moti ban jati hai.

Giro jroor ae mere dost,  
Magar kuchh aise giro ki jaise,  
Pahaad ke seene se girta hai jharnaa jameen par or nadee ban jata hai. 

Girna hee agar lajimee ho jaye,
To hanste hanste giro ae mere dost,  
Jaise sarahad par koiee sipahee golee khakar girta hai or amar ho jata hai.  

Girna to groor hai mere dost magar waise nahee girna,  
Jaise kisee ki najro me koiee girta hai,  
Ya aasman se tootkar bijlee jaise girti hai kisi aashiyane par.

Source : Unknown

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