ये ज़िंदगी हमारे लिए खास थी, है और रहेगी,
ये होटों पर नगमें, मुस्कराहट कल तक हमारी पहचान बनकर बिखरी थी, है, और रहेगी।
ये दूरियां चाहे कितनी भी क्यों न हो दिलों में,
ये नफरत चाहे कितनी भी क्यों ना हो मंज़िलों में,
पर हमारी संस्कृति की पहचान थी, है और रहेगी।
लोग बेच देते हैं जमीन को, कर लेते है सरहदों का बँटवारां,
पर हमारे लिए ये धरती माँ थी, है, और रहेगी।
- श्री मती कविता जी मोदी द्वारा लिखित
Ye zindgi hamare liye khass thi hai or rahegi,
Ye hoto par nagme, muskurat kal tak hamari pahchan bankar bikhri thi, hai,or rahegi.
Ye duriya chahe kitni bhi kyu na ho dilo me,
Ye nafrat chahe kitni bhi kyu na ho manzilo me,
Par hamaari sanskarti ki pahchan thi hai or rahegi.
Log bech dete hai jamin ko, Kar lete hai sarhado ka batwara,
Par hamare liye ye dharati maa thi, hai, aur rahegi.
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